Monday, October 12, 2009

मातृभाषा हिंदी पर अवधिया जी यह कैसा गर्व है?

सम्‍मानित श्री जी. के. अवधिया जी अपने बारे में धान के देश मी ब्लाग पर लिखते हैं,
''मैं एक संवेदनशील, सादे विचार वाला, सरल, सेवानिवृत व्यक्ति हूँ। मुझे अपनी मातृभाषा हिंदी पर गर्व है। आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी उत्कृष्ट अभिलाषा है।''

आपके हिन्‍दी पर गर्व पर आपके अवधिया चाचा को सदैव गर्व रहेगा,

आपकी हिन्‍दी के प्रति उत्कृष्ट अभीलाषा आपके ब्लाग के नाम से बगैर चश्‍मे के भी दिखाई देती है,
श्री अवधिया जी में को मी लिखवाने का प्रचलन चाहते हैं,
http://dhankedeshme.blogspot.com/
इस हिन्‍दी के दुशमन के प्रति नर और नारीयां एवं किन्‍नर भी विरोध दरज करवाने के लिये सादर आमंत्रित हैं,
अगर आज में को मी प्रचलित करवाने वाले का विरोध ना‍ किया गया तो कल कोई अलबेला को अलबेली अर्थात अलबेली छतरी प्रचलित कर सकता है,

सांकल खुली है
आपका अवधिया चाचा